हम उम्मीद क्यों करते हैं? Expectations
उम्मीद Expectation
कहा जाता है “उम्मीद पर ही दुनिया कायम है?” यह सत्य है किंतु तब, जब हम जान जाए की उम्मीद किससे करनी है और कब।
किससे करें Expect?
क्या हमें उम्मीद करनी चाहिए? हां, लेकिन सही स्थान पर; जैसे कोई ऐसा रिश्ता हो या हम अपने जीवनसाथी से आशा करते हैं।
जीवन साथी से भी साथ, सम्मान, और स्वतंत्रता की उम्मीद करनी चाहिए ना कि उसके आदर्श होने की। क्योंकि कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं हो सकता है। परफेक्शन की उम्मीद करना बड़ी भूल है।
कैसे पाएं उम्मीदों से निज़ात?
यह तो बात हुई कि कुछ स्थानों पर आशा करना उचित है। लेकिन समस्या यह है कि हम हर वक्त हर स्थान पर हर व्यक्ति से उम्मीद करने लगते है जो हमारे दुःख का बड़ा कारण बन जाता है।
प्रश्न उठता है कि कैसे इस समस्या से निजात पाए।
सरल-सा उत्तर है, स्वयं को समझ ले। स्वयं को जान ले कि मैं क्या हूँ? कौन हूँ?
समझ और उम्मीद
जब समझ बढ़ती है, जब हम स्वयं के वास्तविक स्वरूप को जानने लगते हैं तो हम यह भी जान जाते हैं कि उम्मीद करने का कोई कारण है ही नहीं और हम किसी से भी बिना कारण उम्मीद करना बंद कर देते हैं।
ऐसे जाने खुद को
प्रश्न उठा कि स्वयं को कैसे जाने? कैसे समझे? कि मैं कौन हूं? यह तो समझ की बात है फिर मैं एक सरल तरीके से समझाने का प्रयास कर रही हूँ।
ध्यान से सुनिएगा, अपने ही उदाहरण से समझाती हूं।
देखिए मैं कौन हूं?
मैं स्त्री हूँ, बेटी हूँ, बहन हूँ, दोस्त हूँ, योगिनी हूँ। तो क्या मैं केवल स्त्री हूं, केवल बेटी हूँ या केवल बहन हूँ या केवल दोस्त या फिर योगिनी?
क्या मैं यह सब हूँ? और अगर मैं कहूं कि मैं इनमें से कोई भी नहीं, तो!
मैं तो बस इन सब का रोल प्ले कर रही हूं और मैं हमेशा अपना बेस्ट देने की कोशिश करती हूं।
यहां किसी से उम्मीद की कोई गुंजाइश ही नहीं है, क्योंकि मैं तो एक रोल प्ले कर रही हूं और रोल किसी से क्या उम्मीद करें?
We are just playing a role.
मैं हूँ या आप हो; हम सब रोल ही तो प्ले करते हैं क्योंकि हमारा स्वरूप तो सच्चिदानंद स्वरूप है यानि जो पूर्ण है, सत्य है तथा जो आनंदमय है और अगर आप सच्चिदानंद स्वरूप को नहीं समझते हैं तो इतना भर समझ लीजिए कि हम मनुष्य है और हमें मानवता को अपनाना है, किसी एक रोल में बंधकर नहीं रह जाना है।
खुद को कोई एक संबंध यह रोल मान लेना ही दुःख का कारण है और यही दूसरों से उम्मीद करवाता है। इसी को अहंकार या ईगो कहते हैं।
इससे बचिए, स्वयं के स्वरूप को, खुद की सच्चाई को जानिए और खुश रहिए।
Be Happy & Healthy 😊
धन्यवाद!
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